DLP NewsTv

Real News, Real Impact

Advertisement

क्या बंटवारे की ऐतिहासिक असहनीय पीड़ाओं और बलिदानों को समझ पाएंगी भावी पीढ़ियां?

क्या बंटवारे की ऐतिहासिक असहनीय पीड़ाओं और बलिदानों को समझ पाएंगी भावी पीढ़ियां?

क्या बंटवारे की ऐतिहासिक असहनीय पीड़ाओं और बलिदानों को समझ पाएंगी भावी पीढ़ियां?

नई दिल्ली ।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रतिवर्ष 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रुप में मनाने का निर्णय एक ऐतिहासिक कदम है। यह कहना है इंटरनेशनल वैज्ञानिक डिजिटल डिप्लोमेसी एक्सपर्ट डॉ डीपी शर्मा और पूर्व हैड ऑफ द ऑफिस ऑफ यूनाइटेड नेशंस एनवायरमेंट प्रोटेक्शन श्री विजय समनोत्रा का जिन्होंने 1947 में भारत के विभाजन और उसकी असहनीय विभीषिका पर कई सालों की रिसर्च एवं अध्ययन के बाद 17 जुलाई 2021 को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक संक्षिप्त इतिहास की प्रतिवेदन एवं पत्र लिखकर 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका दिवस के रूप में मनाए जाने की मांग की थी। ज्ञात रहे के 14 अगस्त 2023 को मनाया जाने वाला यह द्वितीय विभाजन विभीषिका दिवस है जिसमें अनेकों एग्जीबिशन स्कूल, कॉलेज एवं विश्वविद्यालयों में आयोजित किये जाने के साथ-साथ संगोष्ठी आयोजित करने की योजना है।
डॉ शर्मा ने बताया कि वे विदेश में रहने के बावजूद इस प्रोजेक्ट पर पूर्व यूनाइटेड नेशन्स डिप्लोमेट विजय समनोत्रा ने अध्ययन पर काम कर रहे थे ताकि विभाजन विभीषिका के दर्द और आने वाली पीढ़ियों को ऐसे मंजर की पुनरावृत्ति से बचाया जा सके। डॉ शर्मा ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने उनकी इस संक्षिप्त प्रतिवेदन पर कार्यवाही करते हुए 14 अगस्त 2021 को इसकी घोषणा की और तत्पश्चात प्रतिवर्ष यह दिवस 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका दिवस के रूप में मनाया जाने लगा है। डॉ शर्मा एवं विजय समनोत्रा ने मोदी सरकार से असहनीय प्रताड़ना झेल कर शहीद हुए भारतीयों और उनके परिजनों की व्यथा को इजराइल के यहूदियों द्वारा बनाए गए होलोकास्ट म्यूजियम की तर्ज पर एक डिजिटल म्यूजियम के साथ-साथ फिजिकल म्यूजियम भी बनाने की भी मांग की है।
इस संदर्भ में 14 अगस्त को यादगार दिवस के रूप में मनाए जाने पर देश में सामाजिक सौहार्द का संचार होगा और युवा पीढ़ी को देश के बंटवारे के समय में देश को मिले दर्द, और बलिदान को समझने का भी अवसर मिलेगा। डॉ शर्मा एवं विजय समनोत्रा ने संयुक्त रूप से बताया कि उन्होंने 14 अगस्त को स्मरणोत्सव के रूप में मनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र रेखा जिसमें 14 अगस्त के विभाजन के पीड़ित हिंदुओं के दर्द को नई पीढ़ियों को बताते हुए सम्मानित करने के लिए स्मरण दिवस के रूप में मनाने की मांग की गई थी। वर्ष 1947 में देश के विभाजन के दौरान हिंसक उथल पुथल के कारण लाखों हिंदुओ, मुस्लिमों, सिखों, जैन, बौद्धों का संहार हुआ। लाखों लोग मारे गए जिनका आज तक कभी भी ब्यौरा तक तैयार नहीं किया गया। हजारों के अपहरण, और धर्म परिवर्तन के साथ करोड़ों की सम्पत्तियों का नुकसान हुआ। बंगाल में भी नियोजित हत्याएं, लूट आदि हुईं।डॉ शर्मा ने बताया कि इस दर्द से गुजर चुके देशभर में अब कुछ ही लोग जिंदा हैं जिनकी स्मृतियां और यादें संजोए रखना हमारे लिए सबसे बड़ी जिम्मेदारी। इसको लेकर डॉ डीपी शर्मा एवं श्री विजय समनोत्रा ने पत्र में प्रधानमंत्री से पंजाब और पूर्वी बंगाल के अज्ञात लाखो लोगों के बलिदान को समर्पित करने के लिए एक स्मारक निर्माण की भी मांग की है। जिसमें नरसंहार में अपना सब कुछ खो चुके लोगों के इतिहास, उनके बलिदान से रूबरू कराया जाए। साथ ही एक ऑन लाइन डिजिटल म्यूजियम भी स्थापित किया जाए।जिसमें विभाजन के बाद और पहले की दर्दनाक और दुखद: यादों को संजोया जा सके, जो वर्तमान में जीवित हैं, उनके अनुभव, दर्द को सुनकर, रेकॉर्ड कर प्रकाशित किया जा सके। यही आज हमारी युवा पीढ़ी के लिए सबसे बड़ा संदेश होगा। साथ ही नवीन पीढ़ी को उस समय के इतिहास, अंग्रेजों की दमनकारी नीति, नरसंहार आदि के बारे में भी बताया जा सके।आखिकार उन्होंने दर्द को कैसे झेला। इसे भावी पीढ़ी के लिए संरक्षित भी किया जाए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *