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शारीरिक शिक्षा शिक्षक भर्ती में बड़ा फर्जीवाड़ा: धौलपुर में 12 शिक्षकों को 16 महीने बाद नौकरी से बर्खास्त

शारीरिक शिक्षा शिक्षक भर्ती में बड़ा फर्जीवाड़ा: धौलपुर में 12 शिक्षकों को 16 महीने बाद नौकरी से बर्खास्त

शारीरिक शिक्षा शिक्षक भर्ती में बड़ा फर्जीवाड़ा: धौलपुर में 12 शिक्षकों को 16 महीने बाद नौकरी से बर्खास्त

धौलपुर, राजस्थान – जिले में शारीरिक शिक्षा शिक्षक सीधी भर्ती 2022 में बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) सुक्खो देवी ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी पाने वाले 12 शारीरिक शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया। यह सभी शिक्षक पिछले 16 महीनों से जिले के सरकारी स्कूलों में कार्यरत थे। इनमें से दो शिक्षक सैंपऊ ब्लॉक के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय नरसिंहगढ़ और नयापुरा मालोनी खुर्द में नियुक्त थे।

फर्जी दस्तावेजों से नौकरी का खेल

इस फर्जीवाड़े का खुलासा राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड, जयपुर द्वारा गठित जांच समिति की रिपोर्ट के बाद हुआ। रिपोर्ट में दस्तावेजों में गंभीर विसंगतियां पाई गईं, जिसके बाद यह कार्रवाई की गई।

विशेष रूप से, नरसिंहगढ़ स्कूल में तैनात कांता गोदारा (रोल नंबर 714880) के ऑनलाइन और ऑफलाइन दस्तावेजों में गड़बड़ियां सामने आईं। आवेदन पत्र में बीपीएड की डिग्री जेएस शिकोहाबाद विश्वविद्यालय से होने का दावा किया गया था, लेकिन डिग्री के चारों सेमेस्टर की अंकतालिकाओं में एक ही रोल नंबर पाया गया, जो विश्वविद्यालय के नियमों का उल्लंघन है।

दूसरे आरोपी रवि गुर्जर, निवासी मानपुर (थाना कोलारी), के दस्तावेजों में भी भारी गड़बड़ियां मिलीं, जिसके आधार पर उसे भी बर्खास्त कर दिया गया।

जांच के दौरान उजागर विसंगतियां

जांच में यह स्पष्ट हुआ कि आवेदन पत्र में दी गई जानकारी और दस्तावेज सत्यापन के दौरान प्रस्तुत डिग्री में काफी अंतर था। यह गड़बड़ियां न केवल चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाती हैं, बल्कि शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर चिंताएं खड़ी करती हैं।

शिक्षा विभाग में हड़कंप

इस फर्जीवाड़े के खुलासे से शिक्षा विभाग में हलचल मच गई है। जिला शिक्षा अधिकारी सुक्खो देवी ने बताया कि आरोपियों को बर्खास्त करने के बाद उनकी रिपोर्ट उच्च अधिकारियों और डायरेक्टर को भेज दी गई है। उन्होंने यह भी कहा कि मामले की आगे की जांच के आदेश दिए गए हैं।

बर्खास्त किए गए अन्य 10 शिक्षकों के नाम फिलहाल सार्वजनिक नहीं किए गए हैं।

शिक्षा क्षेत्र की साख पर सवाल

इस प्रकार के फर्जीवाड़े से न केवल शिक्षा विभाग की साख को नुकसान पहुंचा है, बल्कि उन योग्य उम्मीदवारों के भविष्य पर भी असर पड़ा है, जिन्हें उनकी योग्यता के बावजूद मौका नहीं मिल पाया।


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