नशीले पदार्थों का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक- सुनीता मीणा
धौलपुर। किशोर न्याय समिति राजस्थान उच्च न्यायालय एवं राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जयपुर के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण धौलपुर एवं प्रयत्न संस्था धौलपुर के संयुक्त तत्वाधान में “नवचेतना जीवन कौशल औषधि शिक्षा मॉड्युल’’ पर आधारित शराब, नशीली दवाओं व तम्बाकू पदार्थों के विरूद्ध अभियान के तहत एडीआर परिसर धौलपुर में नशा मुक्त भारत (नवचेतना) पर संबंधित विभागों के साथ एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।जिसकी अध्यक्षता जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव/अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश सुनीता मीणा ने अपने उद्बोधन में बताया कि वर्तमान में हमारे देश में युवाओं में नशे की कुप्रवृत्ति बढ़ रही है जो चिंता का विषय है। नशीले पदार्थों का गैर कानूनी कार्य करने वालों को दण्ड़ित किया जावे। नवयुवकों व समुदाय के लोगों को अधिक से अधिक विधिक जानकारी देकर व जागरूकता के माध्यम से ही नशे की लत से छुटकारा दिलवाया जा सकता है। नशे की लत के कारण लूटपाट, छीना-झपटी, दुराचार-कदाचार आदि कुकृत्य बढ़ रहे हैं। नशे की लत के कारण संपन्न घर बर्बाद हो रहे हैं, तथा पारिवारिक हिंसा, कलह, एवं मारपीट की भयानक घटनाएं दिन-प्रतिदिन बढ़ रही हैं।मुख्य अतिथि अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ओम प्रकाश ने बताया कि बच्चों 24 घण्टे में से 16 घण्टे बच्चे माता-पिता के साथ रहते है। 6-7 घण्टे बच्चे विद्यालय में रहते हैं। बच्चों को नशे से रोकने के लिए किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 77 व 78 के अन्तर्गत नशे में जो व्यक्ति बच्चों को लिप्त करता है, उसके विरूद्व नियमानुसार कार्यवाही का प्रावधान है।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता बाल संरक्षण विशेषज्ञ/प्रयत्न संस्था के एड़वोकेसी ऑफिसर राकेश कुमार तिवाड़ी ने बताया कि धौलपुर को नशा मुक्त बनाना है, तो जिला स्तर पर कार्य योजना बनाकर संबंधित विभागों के सहयोग से नशा मुक्त किया जा सकता है। इसकी शुरूआत विद्यालयों में चाईल्ड राईटस क्लब एवं पैहरी क्लब के माध्यम से प्रत्येक शनिवार को नो बैंग डे के दिन नशा मुक्ति के ऊपर नुक्कड़ नाटक, महापुरूषों की जीवनी आदि के माध्यम से जागरूकता की जा सकती है। बच्चे अपने घर में जाकर अपने माता-पिता को नशा छुड़वाने हेतु प्रयास करेंगे तो परिवार में नशा करने वाला व्यक्ति बच्चों के संरक्षण एवं सुरक्षा के लिए छोड़ने का प्रयास करेंगे। वहीं जो परिवार नशा छोड़ने के लिए तैयार है, उस परिवार को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के माध्यम से नवजीवन योजना संचालित की जा रही है। उस परिवार को नवजीवन योजना के माध्यम से प्रशिक्षण दिया जाता है और रोजगार हेतु बैंक से लोन भी दिलवाया जाता है।
उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. चेतराम मीणा द्वारा बताया कि नशे की लत से स्वास्थ्य/हानि होती है। नशे का आदी व्यक्ति निष्क्रिय हो जाता है, उसकी शक्ति क्षीण हो जाती है,सोचने समझने का सामर्थय कम हो जाता है साथ ही धन का अपव्यय होता है। मादक पदार्थों के कारण अपराधों में वृद्धि हो रही है, तथा राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में इजाफा हो रहा है। नशे के शारीरिक प्रभावों में हम पाते हैं कि बीड़ी, सिगरेट, गुटखा, शराब आदि से मुंह, जीभ, गले, व फेफड़ों आदि के कैन्सर, हीमोग्लोबीन की मात्रा में कमी, फेफड़ों में संक्रमण, आदि समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं।
इस दौरान बाल कल्याण समिति सदस्य ब्रजेश मुखरिया, जिला बाल संरक्षण इकाई के पवन तौमर, ड्रग निरीक्षक अनुभव शर्मा, जिला आबकारी अधिकारी नीरज शर्मा, संजय मित्तल, रोहित बिश्त, अजय कुमार, मांगीलाल आर्य, रविंद्र कुमार, दीपक शर्मा, अभिषेक शर्मा, नरेन्द्र कुमार, अंजुम, पंकज सिंह, नीरज शर्मा, प्रभुदयाल, रजनी जैन, रीना त्यागी, सरनाम सिंह, सोमेश्वर सिंह, सुरेश चंद, पवन कुमार, प्रमोद त्यागी,आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये गये।

अनुराग बघेल ( पत्रकार )
धौलपुर राजस्थान
Leave a Reply