बाल विवाह से नन्हे बालक बालिकाओं का सुनहरा भविष्य मटियामेल
धौलपुर । कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन्स फाउंडेशन के सहयोग से मंजरी फाउंडेशन के द्वारा धौलपुर जिले में संचालित न्याय तक पहुंच फेज दो के अंतर्गत सैपऊ की परुआ ग्राम पंचायत में मनरेगा श्रमिकों के साथ बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस मौके पर सरपंच प्रतिनिधि जवाहर सिंह नें कहा कि मुख्यतः भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रचलित बाल विवाह एक ऐसी सामाजिक बुराई हैं जो दो नन्हे बालक बालिकाओं के सुनहरें भविष्य को मटियामेल कर देती हैं। उन्होंने कहा कि मानसिक रूप से अपरिपक्व बालक बालिका को विवाह जैसे महत्वपूर्ण बंधन में बाँध दिया जाता है। दोनों के लिए अपरिपक्वता में एक पति, पिता आर माँ पत्नी के रूप में जिम्मेदारियों का निर्वहन करना कठिन हो जाता हैं। बच्चें अपने बालपन को गंवा देते हैं, कई घातक बीमारियाँ उन्हें अपना शिकार आसानी से बना सकती हैं। लड़की तथा उससे उत्पन्न होने वाली संतान में कुपोषण, कम वजन और अन्य प्रकार की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता हैं। इस कार्यक्रम में कार्यरत सी एस एम यशपाल नें श्रमिकों को जानकारी देते हुए कहा कि बाल विवाह की इस सामाजिक प्रथा के कारण जो उम्रः बच्चो के खेलने कूदने व पढ़ने की होती है। उस उम्रः में उन्हें विवाह जैसे जिम्मेदारी भरे बंधन में अपरिपक्व अवधि में ही जकड़ देते है।जब बालक न तो शिक्षा प्राप्त कर पाता है, न उनका ठीक से शारीरिक विकास हो पाता है। असमय पति की मौत और कम उम्रः में नवयुवतियों के विधवा बन जाने का मुख्य कारण बाल विवाह ही है। इस मौके बाल विवाह के खिलाफ शपथ भी दिलाई।
अनुराग बघेल ( पत्रकार )
धौलपुर राजस्थान
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