कांधे लगें हिंदुस्तान के
कुर्बान हो मां भारती हम तुझ पै शान से,
हर जन्म में कांधे लगें हिंदुस्तान के।
छाती पर गोली खाई है मां पीठ पर नहीं,
प्राणों को निछावर किया है सीना तान के।
मां मेरे शव के साथ मेरे गांव तू चलना,
आंसू तू पोंछना मेरे रोते मकान के।
दो जोड़ी वृद्ध पथराई सी पलकों से कहना,
घर लौटा है बेटा तुम्हारा स्वाभिमान से।
रोए जो छोटी बहन तो मां उसको ये कहना,
बांधे वह तिरंगे को राखी भाई मान के।
कह देना माता तू ये अपनी पुत्रवधू से,
तेरा सुहाग जिंदा है भारत के नाम से।
श्रद्धा सुमन पिरो रहा था गीत मैं’अनिल’
आंसू बरसने लग गए थे आसमान से।
गीतकार- अनिल भारद्वाज एडवोकेट ,उच्च न्यायालय ग्वालियर
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