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विधिक सेवा प्राधिकरण, धौलपुर बाल विवाह के खिलाफ पोस्टर एवं पुस्तक का विमोचन

कार्यालय- जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, धौलपुरबाल विवाह के खिलाफ पोस्टर एवं पुस्तक का विमोचन

विधिक सेवा प्राधिकरण, धौलपुर बाल विवाह के खिलाफ पोस्टर एवं पुस्तक का विमोचन

धौलपुर।अंतरर्राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर पूरे देश में चल रहे बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के दौरान जिला एवं सत्र न्यायधीश और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष सतीश चंद और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव एवं अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश सुनीता मीणा ने बाल विवाह के खिलाफ पोस्टर का लोकार्पण किया साथ ही 2030 तक बाल विवाह मुक्त भारत का खाका पेश करने वाली भुवन ऋभु की किताब व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन रू टिपिंग प्वाइंट टू एंड चाइल्ड मैरेज का लोकार्पण किया। प्रख्यात बाल अधिकार कार्यकर्ता भुवन ऋभु जो कि कैलाश सत्यार्थी फाउण्डेशन के उपाध्यक्ष हैं और मंजरी फाउंडेशन से भी जुडे़ हैं। जिला एवं सत्र न्यायधीश सतीश चंद ने इस मौके पर कहा कि अंतरर्राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर बाल विवाह के खात्मे के लिए इस किताब का लोकार्पण प्रतीकात्मक रूप से काफी महत्वूर्ण है क्योंकि बच्चियों के हाथ में किताबें होनी चाहिए न कि बच्चे। उन्होंने कहा कि बच्चियां स्कूल की ड्रेस में दिखें न कि शादी के जोड़े में। उन्होंने कहा कि नागरिक समाज और सरकार, दोनों ही बाल विवाह मुक्त भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए पूरे समर्पण से काम कर रहे हैं। बाल विवाह बच्चों के अधिकारों का अतिक्रमण करता है जिससे उन पर हिंसा, शोषण तथा यौन शोषण का खतरा बना रहता है। उन्होंने कहा कि ये बात सही है लगातार प्रयासों की वजह से 18 साल से पहले शादी करने वाली लड़कियों की संख्या के प्रतिशत में कमी आई है पर अभी भी बाल विवाह के खिलाफ एक कारगर, सार्थक और सम्मिलित प्रयासों की आवश्यकता है। हमें बाल विवाह के हानिकारक प्रभावों को लोगो तक पहुंचाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि बाल विवाह को खत्म करने के लिए जागरूकता और शिक्षा ही एक मात्र रास्ता है। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव एवं अतिरिक्त जिला सत्र न्यायधीश सुनीता मीणा ने कहा कि जिस लड़की की शादी कम उम्र में हो जाती है, उसके कमाने और समुदाय में योगदान देने की क्षमता कम हो जाती है। गर्भावस्था और प्रसव के दौरान गंभीर समस्याओं के कारण अक्सर नाबालिग लड़कियों की मृत्यु भी हो जाती हैं। बाल विवाह से भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और यह पीढ़ी दर पीढ़ी लोगो को गरीबी की ओर धकेलता है।इस मौके पर मंजरी फाउंडेशन के प्रतिनिधि सुबोध गुप्ता ने कहा कि भारत में बाल विवाह के सामाजिक, सांस्कृतिक एवं संरचनात्मक कारणों को समझते हुए नोबल पुरुस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने देश में बाल विवाह मुक्त भारत अभियान शुरू किया है। इस अभियान का लक्ष्य 2030 तक बाल विवाह का पूरी तरह खात्मा करना है।

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