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मचकुंड मेले में लगाई लाखों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी

मचकुंड मेले में लगाई लाखों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी

मचकुंड मेले में लगाई लाखों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी

धौलपुर। शहर के तीर्थराज मचकुंड सरोवर पर लगने वाला लक्खी मेला
गुरुवार को पर्व स्नान के साथ संपन्न हो गया। दो दिन तक चले मेले में बडी संख्या में श्रद्धालुओं ने पवित्र सरोवर में डुबकी लगाई।
देवछठ मेले के इस मौके पर पांच किलोमीटर की सड़क पर दूर-दूर तक लाखों श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। मचकुंड मेले के दौरान श्रद्वालुओं की सुविधा और सुरक्षा के लिए प्रशासन की ओर से माकूल इंतजाम किए गए थे।
पूर्वी राजस्थान के लक्खी मेलों में शुमार मचकुंड मेले में आज देवछठ के मौके पर पर्व स्नान हुआ। मेले में श्रद्वालुओं के पंहुचने का क्रम अल सुबह से ही हो गया था,जो आज शाम तक जारी रहा। श्रद्वालुओं ने सुबह मचकुंड सरोवर में पवित्र स्नान किया। इसके बाद पूरे विधि विधान के साथ में नव दंपत्ति के मौहर और मौहरियां जल में विसर्जित कीं। इस दौरान महिलाओं ने परम्परागत रुप से मंगल गीत गाए तथा सरोवर के किनारों पर बने मंदिरों पर पूजा अर्चना भी की। सबसे ज्यादा भीड लाडली जगमोहन मंदिर, रानी गुरू मंदिर,पुरानी छावनी वालों के मंदिर और प्राचीन जगन्नाथ मंदिर में रही। मेले में श्रद्वालुओं की भारी तादाद के कारण मचकुंड सरोवर के किनारे बने घाटों पर तिल रखने को भी जगह नहीं बची थी। श्रद्वालुओं ने पूरी आस्था और विस्वास के साथ में मचकुंड महाराज की आरती उतारी तथा परिक्रमा भी लगाई। परिक्रमा के दौरान श्रद्वालुओं ने गुरूद्वारा शेर शिकार दाताबंदी छोड में आयोजित लंगर में प्रसाद ग्रहण किया तथा वापसी में शाह अब्दाल शाह बाबा के दरबार में अपनी हाजिरी भी लगाई। मचकुंड मेले में सबसे ज्यादा आवक मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के श्रद्वालुओं की रही।

मचकुंड मेले में लगाई लाखों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी

क्या है मान्यता -वर्ष देवछठ के मौके पर लगने वाले मचकुंड के लक्खी मेले की मान्यता है कि देवासुर संग्राम के बाद जब राक्षस कालयवन के अत्याचार बढ़ने लगे तब लीलाधर श्री कृष्ण ने कालयवन को युद्ध के लिए ललकारा। इस युद्ध में लीलाधर को भी हार का मुंह देखना पड़ा, तब लीलाधर ने छल से मचकुंड महाराज के जरिये कालयवन का वध कराया था। इसके बाद कालयवन के अत्याचारों से पीड़ित ब्रजवासियों में खुशी कि लहर दौड़ गई। इसके बाद से आज तक मचकुंड महाराज की तपोभूमि मचकुंड में सभी लोग देवछठ के मौके पर स्नान करते आ रहे हैं।

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