कृष्ण जन्मोत्सव धूमधाम से मनाई गई,शहर में निकाली शोभायात्रा
भारत आस्था का अनूठा संगम है और इसी आस्था पर जीवित है विश्व का सबसे प्राचीनतम धर्म. भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण का हिन्दू धर्म में एक अलग स्थान है. कथाओं और महाभारत के अनुसार मथुरा के कारागार में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मां देवकी के गर्भ से उस समय हुआ था जब, चारों तरफ पाप, अन्याय और आतंक का प्रकोप था और धर्म जैसे खत्म सा हो गया था.आज भी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी इसी उद्देश्य से मनाई जाती है. भारत के प्रत्येक हिस्से में जन्माष्टमी बड़े ही धूम-धाम से मनाई जाती है. खासकर उत्तर भारत में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी एक विशेष पर्व है।।देश ,प्रदेश में सभी जगह श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से श्रद्धा पूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर न मंदिरों में आकर्षक विद्युत साज सज्जा की गई थी।घरों के दिरों में भी भगवान राधा कृष्ण की आकर्षक झांकियां सजाई गई थी।श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर मंदिरों में दिन भर धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन होता रहा और भक्तों का मंदिरो में तांता लगा रहा।धौलपुर जिले के प्रमुख राधाविहारी मंदिर, संतोषी माता, जगमोहन लाडली मंदिर, रानी दुर्गा मंदिर ,नृसिंह मंदिर समेत मंदिरों पर विशेष रूप से सजावट की गई। जैसे ही मंदिर के पट खुले वैसे ही हाथी घोडा पालकी जय कन्हैया लाल की के जयकारों से आसमान गुंजायमान हो उठा। वैदिक रीति और मंत्रोच्चार के मध्य दूध ,दही, शहद, गंगाजल व इत्रादि से लड्डू गोपाल जी का दुग्धाभिषेक कराया।शंख, झालरों और नगाड़ों की ध्वनि के बीच आतिशबाजी के साथ भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया गया। माता बहनों ने घरों में लड्डू गोपाल को सजाने के लिए नये पीले परिधान से सजाया और उनके लिए भोग बनाया।धौलपुर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर शोभायात्रा का आयोजन किया गया।जो पुराने शहर से शूरू होकर के मुख्य मार्गो से होकर राधाविहारी मंदिर पर जाकर समाप्त हुई। शोभायात्रा में कई झांकियां के साथ भगवान श्रीकृष्ण की पालकी भी निकाली गई। वहीं शाम को राधाविहारी मंदिर, मचकुंड स्थित जगमोहन लाडली मंदिर,पुरानी छावनी मंदिर में जन्माष्टमी पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए। दिन भर मंदिर में सजावट आदि चलती रही । शाम को सतरंगी लाइटों से दुल्हन की तरह सजाया गया ।भजन संध्या का कार्यक्रम आयोजित किया गया। फूल बंगले में महकते वातावरण में पालने में झूलते आकर्षण का केंद्र खुद बाल रुप में लड्डू गोपाल जी रहे ।भक्तों में तो पालना झुलाने की होड़ ही लगी रही ।मंदिर को रंगीन जज लाइटिंग और फूल पत्तियों से सजाया गया।रात 12 बजे महाआरती कर प्रसाद वितरण किया गया
जन्माष्टमी के इस अवसर पर विशेष ध्यान में रखते हुए श्री कृष्ण (वाल गोपाल )नन्हे स्वरूप को हमें अपने बेवसाइट पर प्रकाशित कर रहे हैं।
धौलपुर जिले के प्रमुख राधाविहारी मंदिर, संतोषी माता, जगमोहन लाडली मंदिर, रानी दुर्गा मंदिर ,नृसिंह मंदिर समेत मंदिरों पर विशेष रूप से सजावट की गई। जैसे ही मंदिर के पट खुले वैसे ही हाथी घोडा पालकी जय कन्हैया लाल की के जयकारों से आसमान गुंजायमान हो उठा। वैदिक रीति और मंत्रोच्चार के मध्य दूध ,दही, शहद, गंगाजल व इत्रादि से लड्डू गोपाल जी का दुग्धाभिषेक कराया।शंख, झालरों और नगाड़ों की ध्वनि के बीच आतिशबाजी के साथ भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया गया। माता बहनों ने घरों में लड्डू गोपाल को सजाने के लिए नये पीले परिधान से सजाया और उनके लिए भोग बनाया।धौलपुर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर शोभायात्रा का आयोजन किया गया।जो पुराने शहर से शूरू होकर के मुख्य मार्गो से होकर राधाविहारी मंदिर पर जाकर समाप्त हुई। शोभायात्रा में कई झांकियां के साथ भगवान श्रीकृष्ण की पालकी भी निकाली गई। वहीं शाम को मचकुंड स्थित जगमोहन लाडली मंदिर प्रांगण में जन्माष्टमी पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए। दिन भर मंदिर में सजावट आदि चलती रही । शाम को सतरंगी लाइटों से दुल्हन की तरह सजाया गया ।भजन संध्या का कार्यक्रम आयोजित किया गया। फूल बंगले में महकते वातावरण में पालने में झूलते आकर्षण का केंद्र खुद बाल रुप में लड्डू गोपाल जी रहे ।भक्तों में तो पालना झुलाने की होड़ ही लगी रही ।मंदिर को रंगीन जज लाइटिंग और फूल पत्तियों से सजाया गया।रात 12 बजे महाआरती कर प्रसाद वितरण किया गया
अनुराग बघेल ( पत्रकार )
धौलपुर राजस्थान
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