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बाल शोषण से बचाव के लिए बच्चे को शिक्षा और माता पिता को जागृत होने की आवश्यकता- जिला कलेक्टर

बाल शोषण से बचाव के लिए बच्चे को शिक्षा और माता पिता को जागृत होने की आवश्यकता- जिला कलेक्टर

बाल शोषण से बचाव के लिए बच्चे को शिक्षा और माता पिता को जागृत होने की आवश्यकता- जिला कलेक्टर

विविध सेवा प्रतीकर योजना के पोस्टर का विमोचन

धौलपुर। अंतराष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर बाल श्रम और बाल शोषण के खिलाफ एक कार्य योजना बनानें और सभी की जिम्मेदारी सुनिश्चित करने के लिए आज कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रंस फाउंडेशन के सहयोग से मंजरी फाउंडेशन के द्वारा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण और बाल अधिकारिता विभाग के साथ मिलकर जून एक्शन मंथ के अंतर्गत एक कार्यशाला का आयोजन किया गया ।इस मौके पर जिला कलेक्टर अनिल कुमार अग्रवाल नें कहा कि अधिकतर रिसर्च अपने इन नतीजों पर पहुचें कि बाल उत्पीड़न मुख्य रूप से यौन अपराधों के जिम्मेदार हमारे नजदीकी लोग ही होते हैं पड़ोसी, रिश्तेदार या नौकर इन मामलों में अधिक लिप्त पाए जाते हैं । इनकी घिनौनी करतूते बच्चें शर्म, डर के कारण अपने माता पिता को नहीं बता पाते हैं ‌ बाल शोषण से बचाव के लिए बच्चों को शिक्षा तथा माता पिता को जागृत होने की आवश्यकता हैं । जिला कलेक्टर नें बच्चो से जुडी योजनाओं के गाँवो में पहुंचाने के लिए बाल अधिकारिता विभाग को निर्देश जारी करते हुए कहा कि स्वयं सहायता समूहों, स्वयं सेवी संगठनों को शामिल करने की आवश्यकता बताई पर बल दिया, उन्होंने बाल श्रम के मुख्य कारणों को पहचान कर उनके लिए कार्ययोजना बनाने की बात कही उन्होंने केस दर्ज होने पर रिपोर्ट की कॉपी तुरंत मिल जाय ऐसी प्रक्रिया को अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया।
जिला विविध सेवा प्राधिकरण की सचिव और अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश सुनीता मीणा नें कहा कि बाल मजदूरी तथा शोषण की निरंतर मौजूदगी से देश की अर्थव्यवस्था को खतरा होता है और इसके बच्चों पर गंभीर अल्पकालीन और दीर्घकालीन दुष्परिणाम होते हैं जैसे शिक्षा से वंचित हो जाना और उनका शारीरिक व मानसिक विकास ना होने देना। बाल तस्करी भी बाल मजदूरी से ही जुड़ी है जिसमें हमेशा ही बच्चों का शोषण होता है। उन्होंने जिला विविध सेवा प्राधिकरण की प्रतीकर स्कीम की जानकारी देते हुए इस योजना के अधिक से अधिक प्रचार प्रसार की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने बताया कि वैसे भारतीय दंड संहिता की धारा 375 (बलात्कार), 372 (वेशयावृत्ति के लिये लड़कियों की बिक्री), 373 (वेश्यावृत्ति के लिये लड़कियों की खरीद) तथा 377 (अप्राकृतिक कृत्य) के अंतर्गत यौन अपराधों पर अंकुश लगाने हेतु सख्त कानून का प्रावधान है। बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष रवि पचौरी और सदस्य ब्रजेश मुखरिया नें भी अपने विचार रखे। बाल अधिकारिता विभाग के सहायक निदेशक विश्वदेव पांडे नें बाल श्रम के उन्मूलन के लिए चलाये जा रहे अभियान में सभी विभागों की भूमिका के बारे में जानकारी दी ।इस मौके पर सर्किल ऑफिसर सुरेश सांखला और प्रत्येक थाने के बाल कल्याण अधिकारी, रीको एवं उद्योग केंद्र, श्रम विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विभाग, शिक्षा विभाग, स्वयं सेवी संगठनो के प्रतिनिधि, धर्म गुरु, आदि उपस्थित थे

बाल शोषण से बचाव के लिए बच्चे को शिक्षा और माता पिता को जागृत होने की आवश्यकता- जिला कलेक्टर

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