संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा का समापन: व्यास अभिषेक भाई ने सुनाई सुदामा चरित्र और श्रीकृष्ण की लीलाएं
धौलपुर: गंगा बाई की बगीची में आयोजित सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के सातवें और अंतिम दिन कथा व्यास अभिषेक भाई ने भक्तों को भगवान श्रीकृष्ण की अद्भुत लीलाओं का रसपान कराया। उन्होंने मां देवकी के छह पुत्रों को वापस लाने की कथा, सुभद्रा हरण का आख्यान, और सुदामा चरित्र का विस्तारपूर्वक वर्णन किया।
सुदामा चरित्र और मित्रता की मिसाल
कथा के दौरान अभिषेक भाई ने भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि कैसे सुदामा, अपनी पत्नी के आग्रह पर अपने बालसखा श्रीकृष्ण से मिलने द्वारिका पहुंचे। सुदामा की दीन-हीन स्थिति देखकर द्वारपालों ने उन्हें भिक्षुक समझकर रोका, लेकिन जब सुदामा का नाम सुनते ही श्रीकृष्ण ने उन्हें पहचान लिया, तो वे द्वार तक दौड़ते हुए आए और अपने सखा को गले लगाकर स्नेह बरसाया।
श्रीकृष्ण ने सुदामा को अपने राजसिंहासन पर बैठाया और कुबेर के समान धन-वैभव देकर उनकी गरीबी को समाप्त कर दिया। इस प्रसंग ने भक्तों को सिखाया कि सच्ची मित्रता कैसी होती है और भगवान अपने भक्तों का मान-सम्मान कैसे करते हैं।
परीक्षित कथा का प्रेरक संदेश
अभिषेक भाई ने शुकदेव जी और राजा परीक्षित के संवाद का भी वर्णन किया। उन्होंने बताया कि श्रीमद्भागवत कथा के सात दिनों के श्रवण से राजा परीक्षित ने मृत्यु के भय को त्याग दिया और तक्षक नाग द्वारा डसे जाने के बाद वे भगवान के परमधाम को प्राप्त हुए। यह कथा जीवन और मृत्यु के गूढ़ रहस्यों को समझने का संदेश देती है।
आयोजकों और भक्तों का सहयोग
कथा में परीक्षित प्रेम मिश्रा और उनके परिवार के संतोष मिश्रा, उमेश मिश्रा, और पंकज मिश्रा ने विशेष भूमिका निभाई। कथा के अंतिम दिन भक्तों ने भगवान के भजनों और प्रवचनों का आनंद लिया और आयोजन के सफल समापन पर संतोष व्यक्त किया।
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