परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम के छठे संस्करण का आयोजन
धौलपुर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम के तहत छात्रों से चर्चा की। पीएम मोदी ने छात्रों को तनाव मुक्ति के गुर सिखाये एवं छात्रों को समय प्रबंधन के महत्व के बारे में बताया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गुरूवार सुबह 11 बजे तालकटोरा स्टेडियम दिल्ली में परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम के छठे संस्करण में छात्रों को सम्बोधित कर रहे थे।उन्होंने छात्रों को सोशल मीडिया का जरूरत के हिसाब से उपयोग करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि वर्तमान में औसतन एक भारतीय स्क्रीन पर 6 घंटे बिता रहा है जो कि एक देश, एक समाज के तौर पर हमारे लिए चिंता का विषय है। उन्होंने अपने कार्यक्रम में छात्रों से अपील की कि सप्ताह में कम से कम एक दिन डिजिटल फास्टिंग करें। परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम का देश के कई विद्यालयों में सीधा प्रसारण किया गया। सांसद मनोज राजौरिया धौलपुर के घण्टाघर स्थित एवीएम कॉन्वेंट स्कूल में छात्रों के साथ परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम में उपस्थित रहे। सांसद ने विद्यालयों के छात्रों के साथ प्रश्नोत्तरी सत्र में छात्रों के कई सवालों का जबाब दिया। उन्होंने छात्रों को समय प्रबंधन, तनाव प्रबंधन इत्यादि के बारे में जानकारी दी। उन्होंने छात्रों से कहा कि डिजिटल उपकरणों का उपयोग छात्रा केवल अपनी जरूरतभर के लिए करें। उन्होंने शिक्षक के लैंगिक भेदभाव के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि लैंगिक भेदभाव घर से ही शुरू होता है इसे हर स्तर पर हमें अपने समाज से खत्म करने की जरूरत है।
तनाव किस प्रकार प्रभावित करता है ?
छात्र प्रशांत के सवाल पर पीएम मोदी ने कहा कि सच से मुकाबला करने की आदत नही छोड़नी चाहिए, उसे स्वीकार करना चाहिए। स्वयं से जरूरत से ज्यादा उम्मीद रखना ठीक नहीं, दिन रात हम तुलना के भाव में जीते है, यह तनाव का मूल कारण है। हम अपने में जिएं और अपने से सीखें और खुश रहें, इससे तनाव को खत्म कर सकते है।
सवाल को बताया पीएम ने आउट ऑफ सिलेबस
पीएम मोदी ने विपक्ष की आलोचना एवं आरोपों से सम्बंधित एक छात्रा के सवाल को आउट ऑफ सिलेबस बताया। उन्होंने कहा कि कुछ लोग आदतन आलोचना करते है ऐसे लोगों पर ध्यान न दें, पीएम मोदी ने कहा कि मॉ-बाप अपने बच्चों को अधिक टोका-टाकी न करें, इससे आप अपने बच्चों के व्यवहार को बदल नहीं सकते। उन्होंने छात्रों से कहा कि आरोप और आलोचना के बीच बहुत अन्तर है, हम आरोपों को आलोचना न समझें, आरोप को कभी दिल पर न लें और आलोचना को कभी हल्के में न लें।
बहुभाषी होने के लिए क्या करें ?
अक्षरा सिंह ने पूछा कि बहुभाषी होने के लिए क्या करना चाहिए, वहीं छात्रा रितिका सिंह ने पूछा कि अधिक भाषाएं सीखना क्यूं जरूरी है इस पर पीएम मोदी ने कहा कि नयी भाषाएं सीखना हमारे लिए न केवल नये शब्दों और वाक्यों को सीखने और जानने का द्वार खोलता है, बल्कि प्राचीन विरासत, इतिहास, संस्कृति और इनसे जुड़ी सदियों पुरानी सभ्यताओं के बारे में भी जानने का द्वार खोलता है। विश्व की सबसे पुरातन भाषा जिस देश के पास हो उसे अपनी संस्कृति पर गर्व होना चाहिए। किसी एक विदेशी द्वारा बोला गया केवल एक हिंदी शब्द नमस्ते एक ऐसा संचार का पुल तैयार करता है जिसके आधार पर आगे की समस्त बातें एक मजबूत बुनियाद पर होती है।
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अनुराग बघेल ( पत्रकार )
धौलपुर राजस्थान
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