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म्हारी टालवी लघुकथावां’ पुस्तक का हुआ विमोचन

धौलपुर। हिंदी भाषाओं की अनेक विधाओं में से लघु कथा इस समय की उभरती हुई महत्वपूर्ण विधा है। राजस्थान के चुरू जिले के सादुलपुर से डॉ. रामकुमार घोटड़ लघु कथा सृजन के क्षेत्र में ख्याति लब्ध एवं मसिजीवी साहित्यकार हैं। डॉ. घोटड़ ने लगभग डेढ़ दर्जन एक लघु कथा संग्रह, ढाई दर्जन संपादित लघु कथा संकलन तथा अन्य विविध विधाओं और विषयों पर पुस्तकों का सृजन किया है। इनके साहित्य पर अनेक पीएचडी, शोधादि विभिन्न विश्वविद्यालयों में काम किया जा रहा है। जलगांव महाराष्ट्र विश्वविद्यालय के स्नातक कक्षा के लिए इनकी हिंदी की प्रतिनिधि लघु कथाएं पाठ्यक्रम में स्वीकृत हैं। राजस्थान में हिंदी एक राजस्थानी भाषा साहित्य में इनका बड़ा भारी योगदान है। डॉ. घोटड़ बड़े सहयोगी एवं हंसमुख व्यक्तित्व के धनी हैं। धौलपुर से हिंदी साहित्य के जानेमाने प्रोफेसर डॉ. धुर्वेंद्र सिंह ने बताया कि हिंदी लघु कथा के नामचीन साहित्यकार ‘मधुदीप’ की एक प्रसिद्ध लघुकथा संग्रह का राजस्थानी भाषा में अनुवाद ‘म्हारी टालवी लघुकथावां’ के रूप में प्रस्तुत किया है। इस लघुकथा संग्रह में लगभग 66 लघु कथाएं संकलित हैं जो अनेक विषयों को समेटे हुए हैं। भाषा साहित्य अनुवाद के क्षेत्र में इनके इस प्रयास से हिंदी भाषा लघु कथा साहित्य के प्रसारण एवं राजस्थानी भाषा लघु कथा कोष में निश्चित रूप से वृद्धि होगी। श्रेष्ठ लघु कथाओं के लिए हिंदी और राजस्थानी भाषा के साहित्य प्रेमी और लघुकथा पाठक दोनों ही साहित्य सेवी साहित्यकारों के प्रति ऋणी रहेंगे। श्रेष्ठ साहित्य की पिपासा को तर करने के लिए डॉ. रामकुमार घोटड़ को सभी लोगों ने ह्रदय से साधुवाद अर्पित किया है और सभी पाठकों व लोगों ऐसी भावना है कि वे हिंदी और राजस्थानी भाषा को समृद्ध करते रहेंगे।

म्हारी टालवी लघुकथावां’ राजस्थानी भाषा में साहित्यकार मधुदीप की एक प्रसिद्ध लघुकथा का अनुवाद – डॉ. धुर्वेंद्र सिंह

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