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मर्यादा पुरुषोत्तम राम

गुलाबी सर्दियों की गरमा-गरम यादें

मर्यादा पुरुषोत्तम राम

राम मंदिर बनाया है मन को,

राम जी तुमको आना पड़ेगा।

मेरा दिल है अयोध्या तुम्हारी,

मिथिला नगरी है धड़कन हमारी।

मेरी सांसों की नगरी में आकर,

उम्र भर तुमको रहना पड़ेगा।

आखिरी शाम जीवन की आये,

मेरे प्रभु आना तुम बिन बुलाए।

मेरा सर रख के गोदी में अपनी,

मेरे भगवन सुलाना पड़ेगा।

चार कंधों का लेकर सहारा,

कैसे ढूंढ़ूगा मैं घर तुम्हारा।

खो न जाऊं कहीं इस सफर में,

तुमको रस्ता बताना पड़ेगा।

गीतकार-अनिल भारद्वाज एडवोकेट हाईकोर्ट ग्वालियर मध्य प्रदेश।

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