बच्चों की जीवन में विद्यालय एवं शिक्षक की अहम भूमिका
पॉक्सो अधिनियम के बारे में जानकारी दी
धौलपुर।शिक्षा विभाग की तरफ से चल रहे 6 दिवसीय क्षमता वर्धन प्रशिक्षण के दौरान आज कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन्स फाउंडेशन (यू. एस ) के सहयोग से न्याय तक पहुंच फेज 2 कार्यक्रम के तहत मंजरी फाउंडेशन के द्वारा बाल विवाह, बाल शोषण और पॉक्सो के बारे में एक जागरूकता कार्यक्रम और शपथ का आयोजन किया गया |
समग्र शिक्षा अभियान के प्रोग्राम ऑफिसर महेश कुमार गोयल नें कहा कि बच्चों के प्रति हिंसा या शोषण का कोई न कोई मामला प्रति दिवस सुर्खियों में रहता है। अतः यह आवश्यक हो गया है कि बच्चों को आजकल के वातावरण में मौजूद खतरों के बारे में अवगत कराया जाए और स्वयं को कैसे सुरक्षित रखें इस बारे में उन्हें जागरूक करें। यहाँ पर बच्चों से तात्पर्य 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से है | बच्चों की जीवन में विद्यालय एवं शिक्षक की अहम भूमिका रहती है। विद्यालय एवं शिक्षक उन्हें सुरक्षित स्थान और वातावरण प्रदान कर उनके व्यवहार निर्माण में मदद करते है। प्रायः बच्चे शिक्षकों को वह सारी बातें बता देते हैं जो वे किसी और को नहीं बता पाते। कई बार शिक्षक बच्चों के हाव भाव देखकर भी पता लगा लेते हैं कि बच्चा परेशानी में है। स्कूल में शिक्षक की इन्हीं भूमिकाओं को ध्यान में रखते हुए यह जानकारी प्रेषित की गई है।
मंजरी फाउंडेशन के टीम लीडर और इस कार्यक्रम के समन्वयक सुबोध गुप्ता नें बताया कि बाल संरक्षण पर भारत के रुख को पहले से अधिक स्पष्ट करने के लिए, भारत सरकार ने 2012 में यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण यानि पॉक्सो अधिनियम बनाया। यह एक विशेष कानून है जो 18 वर्ष से कम उम्र के सभी लोगों को बच्चा मानता है और कड़ी सजा का प्रावधान करता है। किसी भी व्यक्ति के लिए जो किसी बच्चे के खिलाफ यौन दुर्व्यवहार या यौन हमला करता है। उन्होंने बताया कि 2019 में कुछ विशेष संशोधन किये गए | पॉक्सो अधिनियम के अनुसार, यौन उत्पीड़न के किसी भी रूप में अश्लील सामग्री के उपयोग या भंडारण से लेकर गैर-शारीरिक यौन गतिविधियों तक, गंभीर यौन हमला और गंभीर प्रवेशन यौन हमला आपराधिक अपराध हैं।
उन्होंने बताया कि पॉक्सो अधिनियम लिंग तटस्थ है|
उन्होंने बताया कि यदि कोई बच्चों को कोई गलत तरीके से छूता है, गलत हरकतें या गन्दी बातें करता है और उन्हें गन्दी तस्वीरें दिखाता है तो शिकायत दर्ज कर इस अधिनियम के तहत दोषियों को कड़ी से कड़ी सज़ा दिला सकते हैं। कानून के जरिए नाबालिग बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामलों में अलग-अलग अपराधों की सजा का अलग अलग प्रावधान है। पॉक्सो एक्ट का उदेश्य बच्चों को यौन शोषण, यौन उत्पीड़न एवं पोर्नोग्राफी जैसे अपराधों से सुरक्षति एवं भयमुक्त रखना है। बाल विवाह, उसके दुष्परिणाम और बचाव के संबंध में जानकारी दी गई। उन्होंने बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम की जानकारी दी और शपथ दिलवाई | इस मौके पर सत्येंद्र सैगर, रजनी, मनीषा, ऋषि, अक्षय दीक्षित आदि उपस्थित थे |

अनुराग बघेल ( पत्रकार )
धौलपुर राजस्थान
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