दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट द्वारा किया जा रहा ड्रोन बूट कैम्प का आयोजन

दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट द्वारा किया जा रहा ड्रोन बूट कैम्प का आयोजन

आगरा। कभी मुख्य रूप से सैन्य और निगरानी उद्देश्यों के लिए उपयोग किए जाने वाले ड्रोन आज शिक्षा के क्षेत्र में एक नई भूमिका निभा रहा है। जैसे-जैसे तकनीक विकसित हो रही है, ड्रोन स्कूलों में तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं, जिससे छात्रों को विज्ञान, इंजीनियरिंग और यहां तक कि इतिहास के बारे में जानने का एक अनूठा और रोमांचक तरीका मिल रहा है। ड्रोन, जिसे मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी) भी कहा जाता है, छोटे विमान हैं जिन्हें दूर से नियंत्रित किया जा सकता है। वे कैमरे, सेंसर और अन्य उन्नत सुविधाओं से लैस हैं जो उन्हें शैक्षिक अनुप्रयोगों की एक श्रृंखला के लिए एकदम सही बनाती हैं। स्कूलों में ड्रोन का उपयोग करने के प्राथमिक लाभों में से एक यह है कि वे छात्रों को सीखने का व्यावहारिक अनुभव प्रदान करते हैं। उनका उपयोग भौतिकी, भूगोल और पर्यावरण विज्ञान सहित विभिन्न विषयों को पढ़ाने के लिए किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, छात्र मौसम के पैटर्न, प्रदूषण के स्तर और पौधों की वृद्धि पर डेटा एकत्र करने के लिए ड्रोन का उपयोग कर सकते हैं। इसके अलावा, कोडिंग और प्रोग्रामिंग कौशल सिखाने के लिए ड्रोन का उपयोग किया जा सकता है। छात्र विशिष्ट कार्यों को करने के लिए ड्रोन को प्रोग्राम करना सीख सकते हैं, जैसे किसी निश्चित स्थान पर उड़ान भरना या हवाई तस्वीरें लेना।लेकिन ड्रोन केवल विज्ञान और प्रौद्योगिकी कक्षाओं तक ही सीमित नहीं हैं। छात्रों को ऐतिहासिक घटनाओं पर एक अद्वितीय परिप्रेक्ष्य प्रदान करने के लिए उनका उपयोग इतिहास और सामाजिक अध्ययन कक्षाओं में भी किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, किसी विशेष युद्ध की बेहतर समझ हासिल करने के लिए किसी प्राचीन सभ्यता के खंडहरों का पता लगाने या युद्ध के मैदान में उड़ान भरने के लिए एक ड्रोन का उपयोग किया जा सकता है। पत्रकारिता और फोटोग्राफी क्लब जैसी पाठ्येतर गतिविधियों के लिए भी ड्रोन का इस्तेमाल किया जा सकता है। छात्र खेल खेल और संगीत कार्यक्रम जैसे हवाई फुटेज और स्कूल की घटनाओं की तस्वीरें लेने के लिए ड्रोन का उपयोग कर सकते हैं।कुल मिलाकर ड्रोन छात्रों को शिक्षित करने का एक क्रांतिकारी तरीका प्रदान करते हैं और उन्हें एक अनूठा और रोमांचक सीखने का अनुभव प्रदान करते हैं। जैसे-जैसे तकनीक विकसित हो रही है, ड्रोन निस्संदेह शिक्षा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इसके लिए सरकार ने कक्षा एकवी से बारवीं तक के पाठ्क्रम में अब ड्रोन बनाने के लिए भी बदलाव लाने का फैसला लिया है | इसके अलावा ड्रोन फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष अमित शाह ने बताया मौजूद समय में देश में कृषि समेत तमाम क्षेत्र में ड्रोन का प्रयोग हो रहा है उनके मुताबिक इन प्रयोगों से खासतौर पर कृषि क्षेत्र में आगे बढ़ने के साथ-साथ दवाओं के छिड़काव को ज्यादा प्रभावी बनाया जा रहा है | इससे दवा का छिड़काव करने वालों को तमाम तरह के संक्रमण से बचाया जा सकता है और उन्होंने बताया कि देश में भूमि की मैपिंग के लिए चल रही स्वामित्व योजना के लिए बड़े पैमाने पर ड्रोन पायलट की भर्ती का काम किया जा रहा है |
दयालबाग एजुकेशनल इंस्टिट्यूट के द्वारा यह बूटकैंप आयोजन किया जा रहा है | ड्रोन के क्षेत्र में उभर रहा नए कैरियर के लिए दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट में बी.वॉक ड्रोन टेक्नोलॉजी द्वारा आयोजित कैंप जिसमें अनेक प्रकार के ड्रोन का विस्तार करना और उसको कंट्रोल करना यह सब सिखाया जा रहा है जिसके पूर्ण होने पर एक सर्टिफिकेट दिया जाएगा | पिछले कुछ समय से ड्रोन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बहुत बढा है जिसे देखते हुए इस क्षेत्र में सर्टिफिकेट करते पायलटों को बहुत जल्द ही नौकरी प्राप्त हो जाती है | अगर कोई व्यक्ति 5-7 दिन की ट्रेनिंग अटेंड करता है तो उसे ₹30000 महीने से ज्यादा की नौकरी आसानी से मिल सकती है | ड्रोन उड़ाने की ट्रेनिंग लेने के लिए कम से कम 10 वीं पास होना जरूरी है | इस बूटकैंप का आयोजन 1 जून 2023 से होने जा रहा जिसमें मुख्य शिक्षक के रूप में रहेंगे मिस्टर गुरु प्रताप कालरा, मिस्टर अमरजीत सिंह चौहान , मिस्टर सौरव सिकरवार मिस्टर मोहक सेठिया एवं डॉ. रविंद्र भारद्वाज | अन्य जानकारी के लिए आप दयालबाग की वेबसाइट पर जाकर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं |

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