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पॉक्सो अधिनियम और बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के बारे में जागरूकता कार्यक्रम

पॉक्सो अधिनियम और बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के बारे में जागरूकता कार्यक्रम

पॉक्सो अधिनियम और बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के बारे में जागरूकता कार्यक्रम


धौलपुर । जिले में 6 राज इंडेप कंपनी एनसीसी भरतपुर द्वारा 16 से 25 जून तक राष्ट्रीय मिलट्री स्कूल में चल रहे एनसीसी संयुक्त वार्षिक प्रशिक्षण शिविर में आज कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन्स फाउंडेशन (यू. एस ) के सहयोग से न्याय तक पहुंच फेज 2 कार्यक्रम के तहत मंजरी फाउंडेशन के द्वारा बाल विवाह, बाल शोषण और पॉक्सो के बारे में एक जागरूकता कार्यक्रम और शपथ का आयोजन किया गया ।
मंजरी फाउंडेशन के टीम लीडर और इस कार्यक्रम के समन्वयक सुबोध गुप्ता नें बताया कि बाल संरक्षण पर भारत के रुख को पहले से अधिक स्पष्ट करने के लिए, भारत सरकार ने 2012 में यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण यानि पॉक्सो अधिनियम बनाया। यह एक विशेष कानून है जो 18 वर्ष से कम उम्र के सभी लोगों को बच्चा मानता है और कड़ी सजा का प्रावधान करता है। किसी भी व्यक्ति के लिए जो किसी बच्चे के खिलाफ यौन दुर्व्यवहार या यौन हमला करता है। उन्होंने बताया कि 2019 में कुछ विशेष संशोधन किये गए पॉक्सो अधिनियम के अनुसार, यौन उत्पीड़न के किसी भी रूप में अश्लील सामग्री के उपयोग या भंडारण से लेकर गैर-शारीरिक यौन गतिविधियों तक, गंभीर यौन हमला और गंभीर प्रवेशन यौन हमला आपराधिक अपराध हैं।
उन्होंने बताया कि पॉक्सो अधिनियम की एक और विशिष्ट विशेषता यह है कि यह लिंग तटस्थ है अधिनियम यह स्वीकार करता है कि लड़के भी यौन हमले के शिकार हो सकते हैं। पॉक्सो अधिनियम ने साक्ष्य की रिपोर्टिंग और रिकॉर्डिंग से लेकर अपराधों की जाँच और परीक्षण तक सभी पहलुओं में बाल-सुलभ बनाने का प्रयास किया है ।
यदि कोई बच्चों को कोई गलत तरीके से छूता है, गलत हरकतें या गन्दी बातें करता है और उन्हें गन्दी तस्वीरें दिखाता है तो शिकायत दर्ज कर इस अधिनियम के तहत दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिला सकते हैं। कानून के जरिए नाबालिग बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामलों में अलग-अलग अपराधों की सजा का अलग अलग प्रावधान है। पॉक्सो एक्ट का उदेश्य बच्चों को यौन शोषण, यौन उत्पीड़न एवं पोर्नोग्राफी जैसे अपराधों से सुरक्षति एवं भयमुक्त रखना है।
बाल विवाह, उसके दुष्परिणाम और बचाव के संबंध में जानकारी दी गई। उन्होंने बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम की जानकारी दी और शपथ दिलवाई । कार्यक्रम के अंत में कैंप कमांडर कर्नल जेआर दत्ता रॉय ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी का धन्यवाद जताते हुए कहा कि बालविवाह जैसी कुरीति आज भी हमारे देश और समाज में प्रचलित है जिसके परिणामस्वरुप बच्चों का बालपन या बचपन खत्म हो जाता है।बालक-बालिका का मानसिक विकास रुक जाता है बालिका के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है जिससे उन्हें अन्य बीमारिया और मौत तक हो सकती है। हम सभी को इस के खिलाफ अपनी भूमिका निभानी चाहिए । मिलट्री स्कूल के प्रशासकीय अधिकारी मेजर लीथिन के नें सभी को सामाजिक मुद्दों पर जानकारी बढ़ाने की सलाह दी. इस शिविर में अलवर, भरतपुर और धौलपुर के केंडिडेट भाग ले रहे है ।इस मौके पर सहेली समिति के प्रबंधक पंकज राणा,अक्षय दीक्षित उपस्थित थे

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